भारत में वोटरों के प्रकार: चुनावी राजनीति की बड़ी तस्वीर

नवनीत कुमार झा : लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोटर (मतदाता) की भूमिका सबसे अहम होती है। भारत जैसे विशाल देश में मतदाताओं की सोच और श्रेणियां भी विविध हैं। broadly उन्हें दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है—कानूनी प्रक्रिया के आधार पर और राजनीतिक सोच के आधार पर।—

🗳️ कानूनी और प्रक्रिया के हिसाब से मतदाता

1. साधारण मतदाता (General Voter): 18 वर्ष से ऊपर, नाम मतदाता सूची में दर्ज।

2. सेवा मतदाता (Service Voter): सेना, अर्धसैनिक बल या केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारी जो बाहर पोस्टेड हों।

3. अस्थायी / प्रवासी मतदाता: गृह क्षेत्र से बाहर रहने वाले मतदाता, जिन्हें डाक मतपत्र या अन्य सुविधा मिलती है।

4. एनआरआई मतदाता (NRI Voter): विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक।

5. PWD मतदाता: दिव्यांग मतदाता, जिन्हें विशेष सुविधा दी जाती है।

6. वरिष्ठ नागरिक मतदाता: 85+ आयु वाले मतदाता, जिन्हें घर से ही मतदान की सुविधा उपलब्ध।—

🗳️ राजनीतिक और सोच के हिसाब से मतदाता

1. कट्टर समर्थक मतदाता: हमेशा एक ही पार्टी या नेता को वोट करते हैं।

2. झुकाव वाले मतदाता: ज़्यादातर एक ही पार्टी के पक्ष में रहते हैं, लेकिन हालात बदलने पर रुख भी बदलते हैं।

3. स्विंग वोटर: हर चुनाव में परिस्थिति देखकर फैसला लेते हैं।

4. मुद्दाधारित मतदाता: रोजगार, विकास, जाति या धर्म जैसे मुद्दों को देखकर वोट करते हैं।

5. लाभार्थी मतदाता: सरकारी योजनाओं, राशन या सब्सिडी से प्रभावित होकर वोट करते हैं।

6. जातीय/धार्मिक मतदाता: जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्रीय पहचान को प्राथमिकता देते हैं।

7. युवा मतदाता: पहली बार वोट करने वाले, 18–25 वर्ष आयु वर्ग के मतदाता।

8. निर्विकार/उदासीन मतदाता: जो वोट डालने ही नहीं जाते।—

भारतीय लोकतंत्र की ताक़त ही यही है कि यहां मतदाता अलग-अलग सोच, परिस्थिति और पृष्ठभूमि से आते हैं। चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों को इन सभी श्रेणियों के मतदाताओं तक पहुंचना और उनका विश्वास जीतना बेहद ज़रूरी है।

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