विभूतिपुर विधानसभा : बदलते समीकरण और नई सियासी चुनौती

समस्तीपुर नाउ/संपादकीय/नवनीत कुमार झा : जिले की विभूतिपुर विधानसभा सीट एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बनी हुई है। यह सीट बिहार की राजनीति में हमेशा बदलाव का प्रतीक रही है। विभूतिपुर को राज्य के उन चंद इलाकों में गिना जाता है, जहां आज भी वामपंथी दलों का मजबूत आधार है। यहां से अब तक कुल आठ बार वामपंथी उम्मीदवारों की जीत हुई है, जिसमें सात बार सीपीआई (मार्क्सवादी) और एक बार 1967 में सीपीआई की जीत शामिल है। 1990 से 2005 के बीच पांच लगातार चुनाव सीपीआई (एम) ने जीते। रामदेव वर्मा ने छह बार यह सीट सीपीएम के लिए जीती। 2020 में अजय कुमार (कुशवाहा) ने सीपीएम उम्मीदवार के रूप में जेडीयू के राम बालक सिंह को हराकर सीट पर वापसी की।

बाकी छह मौकों में यह सीट तीन बार कांग्रेस, दो बार जेडीयू और एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के पास गई।2020 के विधानसभा चुनाव में अजय कुमार ने 40,496 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। उन्होंने जेडीयू के पूर्व विधायक राम बालक सिंह को हराया, जो 2010 और 2015 में यह सीट जीत चुके थे। यह जीत इतनी निर्णायक थी कि एलजेपी को जेडीयू का खेल बिगाड़ने का भी मौका नहीं मिला।

उल्लेखनीय है कि भाजपा और राजद, जो बिहार विधानसभा की दो सबसे बड़ी पार्टियां हैं, विभूतिपुर में सीमित जनाधार रखती हैं ।अब 2025 का चुनाव नज़दीक आते ही समीकरण बदलते दिख रहे हैं। जन सुराज पार्टी ने यहां अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। टिकट की रेस में अनामिका देवी, आभा ठाकुर, रीना राय और अविता कुमारी जैसी महिला दावेदारों के नाम प्रमुखता से उभरकर सामने आ रहे हैं। वहीं कई पुरुष उम्मीदवार भी खुद को भावी प्रत्याशी बताकर जनता के बीच सक्रिय हो चुके हैं। यह पहली बार है जब विभूतिपुर में महिला नेतृत्व इतनी चर्चा में है।

उधर एनडीए खेमे में टिकट को लेकर जबरदस्त खींचतान है। पूर्व विधायक रामबालक सिंह, राजीव रंजन, विश्वनाथ चौधरी उर्फ तूफान चौधरी, राम बहादुर सिंह, अरविंद कुमार कुशवाहा, डॉ. अंजनी कुशवाहा और ई.महेश्वर प्रसाद समेत कई बड़े नाम अपनी-अपनी दावेदारी ठोक चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर NDA से तूफान चौधरी को टिकट नहीं मिलता है तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं, जैसा कि 2020 में उन्होंने किया था। और भी कई निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं।इस बीच, सभी दल अपने-अपने स्तर से बैठकें कर रहे हैं, बड़ी सभाएं आयोजित कर रहे हैं और लोकल मुद्दों को भुनाने की कोशिश में जुटे हैं। राजीव रंजन जनता के बीच सीधे राहत पहुंचाकर जनता से कनेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मौजूदा विधायक अजय कुमार किसान-मजदूर वर्ग के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में लगे हैं।

बड़ा सवाल यही है कि –

  • क्या जन सुराज पार्टी इस बदलते राजनीतिक इतिहास में अपनी जगह बना पाएगी?
  • क्या महिला उम्मीदवार इस बार चुनावी हवा का रुख बदल पाएंगी?
  • क्या एनडीए अपने अंदरूनी संघर्ष को खत्म कर एक मजबूत चेहरा उतार पाएगा? या फिर
  • जनता एक बार फिर वामपंथ पर भरोसा जताएगी?

विभूतिपुर की राजनीति हर चुनाव में नया मोड़ लेती है। यहां कोई भी दल स्थायी विजेता नहीं रहा है। ऐसे में 2025 का विधानसभा चुनाव न सिर्फ त्रिकोणीय, बल्कि बहुकोणीय मुकाबले में बदलता दिख रहा है। जनता के सामने विकल्प बहुत हैं, लेकिन फैसला वही करेगा जो उनकी उम्मीदों और मुद्दों पर खरा उतरेगा।

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