समस्तीपुर नाउ/संपादकीय/नवनीत कुमार झा : विभूतिपुर विधानसभा की राजनीति हमेशा से संघर्ष और जनआंदोलन की धरती रही है। यहाँ के मतदाता जागरूक हैं और केवल नारों या वादों से प्रभावित नहीं होते। ऐसे में भावी विधायक प्रत्याशी राजीव रंजन का राजनीतिक सफर और जनता के बीच उनकी सक्रियता चर्चा का विषय बनी हुई है।

विधानसभा में राजीव रंजन ने कई मौकों पर स्थानीय समस्याओं को उठाने और पीड़ित परिवारों के साथ खड़े होने का काम किया है। चाहे दुखद घटनाओं के बाद आर्थिक सहयोग की बात हो, धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल हो, या फिर पंचायत स्तर की विकास योजनाओं पर जनहित की आवाज बुलंद करने का मामला—उन्होंने खुद को एक सक्रिय और ज़मीनी नेता के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।

जनता की उम्मीदें अब केवल राहत या मदद तक सीमित नहीं हैं। शिक्षा व्यवस्था की अव्यवस्था, सड़क और पुल की बदहाली, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर और भ्रष्टाचार जैसी गहरी समस्याएँ अब किसी भी भावी विधायक की सबसे बड़ी परीक्षा होंगी।

राजीव रंजन के सामने भी यही चुनौती है कि वे केवल घटनाओं में “उपस्थित” होने तक सीमित न रहें, बल्कि नीतिगत स्तर पर समाधान की रूपरेखा सामने रखें।राजनीति में केवल लोकप्रियता या प्रचार ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि जनसमस्याओं के समाधान के लिए निरंतर संघर्ष और ठोस विज़न ज़रूरी है।

राजीव रंजन जनता से निकट संपर्क बनाकर यह साबित कर सकते हैं कि वे वास्तव में “जनता के उम्मीदवार” हैं। परंतु मतदाता अब सवाल पूछते हैं—“सिर्फ मदद या आयोजन से आगे, क्या कोई ठोस नीति और दीर्घकालिक योजना भी है?”विभूतिपुर की जनता अब बदलाव चाहती है, और इस बदलाव की राह में राजीव रंजन यदि स्वयं को साबित करना चाहते हैं, तो उन्हें सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव नहीं बल्कि ठोस विकासात्मक एजेंडा सामने रखना होगा। चुनाव की राजनीति में यही सबसे बड़ी कसौटी है—वोट पाने से पहले जनता का विश्वास अर्जित करना।
